पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक राक्षस था जिसका नाम जालंधर था। वह बहुत ही शक्तिशाली था। उसे हरा पाना किसी के लिए भी संभव नहीं था। उसके शक्तिशाली होने का कारण था। उसकी पत्नी वृंदा। दरअसल, उसकी पत्नी बहुत ही पतिव्रता थी। उसके प्रभाव से जालंधर को कोई भी परास्त नहीं कर पाता था। धीरे धीरे उसके उपद्रव के कारण देवतागण परेशान होने लगे। तब सभी देवतागण मिलकर भगवान विष्णु के पास पहुंचा और उन्हें सारी व्यथा सुनाई। इसके बाद समाधान यह निकाला गया की क्यों न वृंदा के सतीत्व को ही नष्ट कर दिया जाए।
इसके बाद भगवान विष्णु ने अपनी माया से जालंधर का सिर फिर से धड़ से जोड़ दिया। लेकिन वह साथ ही उसी शरीर में प्रवेश कर गए। वृंदा को भगवान के इस छल का जरा भी पता नहीं चला। जालंधर बने भगवान के साथ वृंदा पतिव्रता का व्यवहार करने लगी। जिससे उसका सतीत्व भंग हो गया और ऐसा होते ही वृंदा का पति युद्ध हार गया।










